Chemistry,classification of elements,Electropositivity,Electronegativity Ionisation Potential,Electron affinity,Freezing point,Melting point,Vaporization रसायन विज्ञान,तत्वों का वर्गीकरण,वैद्युत धनात्मकता,वैद्युत ऋणात्मकता,आयनन विभव,इलेक्ट्रॉन बंधुता,हिमांक,द्रवणांक,वाष्पीकरण

 तत्वों का वर्गीकरण

तत्वों के नियमित वर्गीकरण की दिशा में सन् 1869 ई. में रूसी वैज्ञानिक मेंडलीफ (Mendleev) ने सर्वप्रथम आवर्त सारणी की खोज की। जिसके अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती होते हैं।

             

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मोजले (Moseley) ने 1913 ई० में आधुनिक आर्वत नियम प्रस्तुत किया जिसके अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रसायनिक गुण उनके परमाणु संख्या के आवर्ती होते हैं।



मेंडलीफ की आर्वत सारणी में अक्रिय गैसों का वर्ग नही था क्योंकि उस समय तक अक्रिय गैसों की खोज नहीं की जा सकी थी।


आधुनिक आवंत सारणी में आरम्भिक सदस्य क्षार धातु एवं अंतिम सदस्य अक्रिय गैस है। पहले आवर्त का पहला सदस्य हाइड्रोजन इसका अपवाद है।


57 से 71 तक परमाणु संख्या वाले तत्वों को आधुनिक आर्वत सारणी के तहत लैन्थेनाइड श्रेणी में तथा 89 से 103 तक की परमाणु संख्या वाले तत्वों को एक्टिनाइड श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।


● वैद्युत धनात्मकता (Electropositivity):- 

किसी भी आवर्त में बायीं से दायीं तरफ जाने पर वैद्युत धनात्मकता कम होती है, जबकि किसी भी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर वैद्युत धनात्मकता बढ़ती है।

• वैद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity):-

किसी भी आवर्त में बायीं से दायीं तरफ जाने पर वैद्युत ऋणात्मकता का मान बढ़ता है, जबकि किसी वर्ग में ऊपर से नीचे की तरफ चलने पर वैद्युत ऋणात्मकता का मान घटता है। फ्लोरीन की वैद्युत ऋणात्मकता सर्वाधिक होती है।

• आयनन विभव (Ionisation Potential):- 

तत्व के किसी गैसीय परमाणु के बाह्वयतम कक्षा से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम संख्या 'आयतन विभव' कहलाती है।

 इलेक्ट्रॉन बंधुता (Electron affinity):- 

उदासीन परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने में उत्पन्न ऊर्जा 'इलेक्ट्रॉन बंधुता कहलाती है।

वर्ग VII के तत्वों (जैसे-CL, F, Br & I) :- की इलेक्ट्रॉन बंधुता अधिक होती है। जो वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर घटती है। सर्वाधिक इलेक्ट्रॉन बंधुता वाला तत्व क्लोरीन (CI) है।


कुछ महत्वपूर्ण विन्दु

फ्लोरीन की विद्युत ऋणात्मकता सबसे अधिक होती है।

वर्ग IV A के तत्वों का गलनांक उच्च होता है तथा निष्क्रिय गैसों का गलनांक निम्न होता है।

हाइड्रोजन आयन (H+) को प्रोटॉन कहते है।

न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर होता है।

न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता।

किसी भी परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉनों की संरचना समान होती है।

पदार्थ की अवस्था परिवर्तन (Change in state)

 हिमांक (Freezing point):- 

किसी विशेष दाब पर बड नियत ताप जिस पर कोई द्रव्य जमता है, हिमांक कहलाता है।

 दवणांक (Melting point):- 

गर्म करने पर जब ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते है, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाव पर तथा एक नियत ताप पर होता है. यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है। जब तक पदार्थ गलता (ठोस के आखिरी कण तक) रहता है, तब तक ताप स्थिर रहता है (यदि विशेष दाव नियत रहे)।


द्रवणांक पर दाब का प्रभाव:-

1. उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ाने से बढ़ जाते है. जिनका आयतन गलने पर वढ जाता है जैसे- ताँबा, मोम आदि।

2. उन पदार्थों के द्रवणांक दाव बढ़ाने से घट जाता है, जिनका आयतन गलने पर घट जाता है जैसे- वर्फ आदि।

● सामान्यतः पदार्थ का द्रवणांक एवं हिमांक का मान बराबर होता है। जैसे- बर्फ का द्रवणांक एवं हिमांक 0°C है।

• अशुद्धियों की उपस्थितियों में हिमांक और द्रवणांक दोनों कम हो जाते है।

● हिमकारी मिश्रण (Freezing mixture):- 

किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी। यह ऊष्मा साधारणतः बाहर से मिलती है, जैसे जल में बर्फ का टुकड़ा मिलाने पर बर्फ गलेगी, परन्तु गलने के लिए द्रवणांक पर वह जल से ऊष्मा लेगी जिससे जल का तापमान घटने लगेगा और मिश्रण का ताप घट जाएगा। हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है। उदाहरण घर पर आईसक्रीम जमाने के लिएनमक का एक भाग एवं बर्फ का तीन भाग मिलाया जाता है, इससे मिश्रण का ताप - 22°C प्राप्त होता है।

 वाष्पीकरण (Vaporization):- 

द्रव से वाष्प में परिणत होने की क्रिया 'वाष्पीकरण कहलाती है। यह दो प्रकार से होती है- (i) वाष्पन (Evaporaton) (ii) क्वथन (Boiling)

(i) क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पन कहते हैं।

(ii) क्वथनांक- दाब के किसी दिए हुए नियत मान के लिए वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव उबलकर द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में परिणत हो जाय तो वह नियत ताप द्रव का क्वथनांक कहलाता है।

दाब बढ़ाने से द्रव का क्वथनांक बढ़ जाता है और दाब घटाने से घट जाता है।

Conclusion

      इस लेख में हम तत्वों का वर्गीकरण, वैद्युत धनात्मकता, इलेक्ट्रॉन बंधुता, हिमांक,द्रवणांक,'वाष्पीकरण के बारे मैं जानकारी देंगे।


FAQ 

Question 1-वैद्युत धनात्मकता क्या है?

Answer - किसी भी आवर्त में बायीं से दायीं तरफ जाने पर वैद्युत धनात्मकता कम होती है, जबकि किसी भी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर वैद्युत धनात्मकता बढ़ती है।

Question 2- इलेक्ट्रॉन बंधुता  क्या है?

Answer - उदासीन परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने में उत्पन्न ऊर्जा 'इलेक्ट्रॉन बंधुता कहलाती है।

Question 3 - हिमांक,द्रवणांक, वाष्पीकरण क्या है

Answer - किसी विशेष दाब पर बड नियत ताप जिस पर कोई द्रव्य जमता है, हिमांक कहलाता है।गर्म करने पर जब ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते है, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाव पर तथा एक नियत ताप पर होता है. यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है द्रव से वाष्प में परिणत होने की क्रिया 'वाष्पीकरण कहलाती है।


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