Rules, avoidance and some tips to stay healthy,स्वस्थ रहने के नियम, परहेज व कुछ टिप्स
स्वस्थ रहने के नियम, परहेज व कुछ टिप्स
परिवार में अच्छे स्वास्थ्य के लिए सभी व्यक्तियों को निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए। याद रखें कि ये मानक स्वस्थ व्यक्तियों को दिए जा रहे हैं ताकि उनकी भलाई सुरक्षित स्थिति में रहे। बीमारी की स्थिति में, दिशा-निर्देशों में जितना अपेक्षित हो उतना परिवर्तन किया जा सकता है:-
दिन के पहले भाग में तुरंत उठें और लगातार 3-4 मील (4-6 किलोमीटर) चलें। अगर संभव हो तो रात को भी टहलने जाएं।
दावतों के साथ हाइड्रेट करें। दोपहर के भोजन के एक घंटे बाद हाइड्रेट करें। इस घटना में कि भोजन कठोर और सूखा है, हाइड्रेट करें।
शाम के समय सचेत रहने से वात बढ़ता है, जिससे शरीर शुष्क हो जाता है। बैठने के दौरान थोड़ी देर आराम करने के लिए लेटना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।
प्रतिदिन दो बार मुंह में पानी भरकर ठंडे पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
नहाने से पहले, आराम करने से पहले और दावत के बाद पेशाब करना चाहिए। यह प्रवृत्ति आपको पीठ दर्द, पथरी और मूत्र संबंधी बीमारियों से बचाती है।
भोजन के प्रारंभ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में संक्षारक, लवण रस (तीखा, तीखा) तथा मध्य में गंभीर, तिक्त, कषाय (तेज, प्रभावशाली, कषाय) पदार्थों का सेवन करना चाहिए। अंत।
कल्याण चाहने वाले व्यक्ति को पेशाब, मल, वीर्य, अपानवायु, उचकना, सूंघना, डकार आना, जम्हाई लेना, प्यास, आंसू, आराम और काम से प्रेरित सांसों को बाहर आने पर शरीर से बाहर निकाल देना चाहिए।
कुछ लोगों की यह धारणा है कि फिट रहने के लिए लगातार घंटों पसीना बहाना पड़ता है, लेकिन जर्मनी में देर से हुई जांच से पता चला है कि यह धारणा सही नहीं है। इस परीक्षण के अनुसार, 10 मिनट की गतिविधि भी आपको नया बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। यह संभव है कि 10 मिनट की गतिविधि आपके शरीर में अतिरिक्त वसा को कम नहीं कर सकती है, बल्कि 10 मिनट की गतिविधि आपको सशक्त बनाएगी और आप पूरे दिन तरोताजा महसूस करेंगे। यह आपके काम को भी प्रभावित करेगा, या कम से कम 10 मिनट की गतिविधि आपकी कामकाजी सीमा का निर्माण करेगी।
प्रतिदिन 10 मिनट का वर्कआउट बीमारियों से लड़ने की क्षमता 40% तक बढ़ा देता है।
कार्यस्थल की सीढ़ियाँ चढ़ना और फिसलना और पार्किंग गैराज से कार्यस्थल तक पैदल चलना भी एक स्फूर्तिदायक गतिविधि है।
दिन की शुरुआत में 10 मिनट की दौड़ आपको कुछ घंटों के लिए गतिशील बनाए रख सकती है। याद रखें कि व्यायाम कुछ अच्छा समय बिताते हुए समाप्त किया जाना चाहिए, या कम से कम, इसे वजन के रूप में न सोचें।
अगर बाहर जाकर वर्कआउट करने की उम्मीद करना असंभव है तो संगीत की धुन पर 10 मिनट तक डांस करें।
दिन की शुरुआत में उठते ही ढेर सारा पानी पिएं। दोपहर के भोजन के बाद छाछ और शाम के समय आराम करने से पहले गर्म दूध अमृत के समान है।
यदि आपको बुखार, थकान, कमजोरी महसूस हो तो अभ्यास से दूर रहें।
याद रखें कि जिस स्थान पर आप व्यायाम करते हैं वह शांत होना चाहिए, वह स्थान उत्तम होना चाहिए, वहां सामान्य हवा और संतोषजनक नियमित रोशनी होनी चाहिए।
अगर आपके मन में गतिविधि का समय बढ़ाने की इच्छा है तो इसे थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ाएं, अप्रत्याशित रूप से समय बढ़ाने से थकान और कमी हो सकती है।
कोशिश करें कि वर्कआउट करते समय बात न करें, एक्सरसाइज के दौरान शांत रहने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
शांत रहकर और मन और शरीर को शांत रखकर अभ्यास करें।
उस स्थिति को स्वीकार करें कि आप अनंत काल तक युवा नहीं रह सकते। दिन हो या रात अभ्यास अवश्य करें। बढ़ती उम्र को संतुष्टि के साथ स्वीकार करें।
अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए सिर्फ योगाभ्यास ही जरूरी नहीं है, बल्कि इसके अलावा कुछ बुनियादी नियम और सावधानियां रखना भी जरूरी है। इन दिशानिर्देशों, बीमाओं और आंकड़ों का पालन करने से हमारा दैनिक कार्यक्रम सुव्यवस्थित हो जाता है और हम काफी समय तक युवा बने रह सकते हैं।
एक दिन पहले सुबह के पहले भाग में उठने का नियम बनाएं। इसके लिए शाम के समय ठीक समय पर झपकी लेने की आदत डालें। दिन के पहले भाग में उठने के बाद, शौचालय का उपयोग करने के बाद हाइड्रेट करें। शरीर को गर्म रखने के लिए शाम के समय तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें और दिन के पहले भाग में भूखे रहकर करीब दो गिलास पानी पिएं। सर्दी के मौसम में पानी को थोड़ा गुनगुना कर लें।
सुबह होने से पहले दैनिक दिनचर्या से त्याग कर किसी खुले वातावरण में जाकर योगाभ्यास करें।
अपने दैनिक व्यवहार में वास्तविक कार्य को महत्व दें। अनेक बीमारियाँ इस कारण उभरती हैं क्योंकि हम दिमाग से अधिक और शरीर से कम काम करते हैं। उदासीनता छोड़ें और ईमानदारी से अनुरोध करने वाले व्यायामों में भाग लें जैसे कि चलना, खेलना, सीढ़ियाँ चढ़ना, कसरत करना, पारिवारिक कार्यों में मदद करना आदि।
दिन में दो लीटर पानी जैसा कुछ पियें।
भूख लगने पर ही भोजन करें। जिस चीज की आपको भूख हो उससे थोड़ा कम खाएं। पूरा काट कर खा जाओ. दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने की प्रवृत्ति को त्याग दें। दूध, छाछ, सूप, जूस, पानी आदि जैसे अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें।
प्रकृति के नियमों का पालन करें, क्योंकि 'प्रकृति से जूझकर' कोई भी व्यक्ति मजबूत नहीं बन सकता।
प्रतिदिन योगाभ्यास करने का एक मानक बनायें।
भोजन पौष्टिक और सभी मूलभूत तत्वों से भरपूर होना चाहिए।
कोशिश करें कि मिठाइयाँ, व्यंजन, तेल और प्रचुर स्वादों का उपयोग न करें।
आराम करने, जागने और खाने का समय निश्चित करें और लगातार साफ-सफाई का ध्यान रखें।
बढ़ती उम्र के साथ अगर यह भावना मन में घर कर जाती है कि मैं बूढ़ा हो रहा हूं तो इस लक्ष्य के कारण व्यक्ति तेजी से बूढ़ा होने लगता है।
कोशिश करें कि शरीर का वजन न बढ़ने दें।
आक्रोश, तनाव, तनाव, भय, चिंता, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या आदि जैसी भावनाएँ वे चर हैं जो बढ़ती उम्र का स्वागत करती हैं। सदैव प्रसन्न रहने का प्रयास करें। ऊर्जा, संयम, संतुलन, संयम, तृप्ति और प्रेम की मानसिक अनुभूतियाँ हर पल वहीं रहनी चाहिए।
मानस में बीमारी की अनुभूति ही बीमारियों का निर्माण करती है। भलाई की अनुभूति भलाई को बढ़ाती है, इसलिए पूरे दिन इस भावना में रहें कि मैं ठीक हूँ। अपने मन में यह संदेह न रखें कि मुझे भविष्य में किसी बीमारी का दुष्प्रभाव अनुभव होगा।
धूम्रपान, कॉकटेल (जर्दा, गुटखा, सोडा पॉप जैसे कोका-कोला, पेप्सी इत्यादि और शराब इत्यादि) पूरी तरह से बंद कर दें।
अपनी जीभ पर नियंत्रण रखें, क्योंकि जीभ की दो ही क्षमताएं होती हैं- बोलना और स्वाद लेना। ऐसे में ज्यादा बोलने से बचें।
मस्तिष्क का आधि-संक्रमण, शरीर का व्याधि-रोग और उपाधि-मद ये तीन यौवन के भयंकर शत्रु हैं। उनसे बचें.
कई बार देखा जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति पढ़ना और लिखना छोड़ देता है। इसकी वजह से उसका सेरेब्रम स्ट्रैंड निष्क्रिय होने लगता है और संवेदी प्रणाली भी वापस डायल करने लगती है। यह शरीर के हर एक तत्व को प्रभावित करता है। व्यक्ति की शुरुआत तेजी से परिपक्व होने लगती है। इसलिए बढ़ती उम्र के साथ स्वाध्याय और गहन ज्ञान का भी विस्तार होता रहना चाहिए।
बीड़ी और सिगरेट जैसे मादक और हानिकारक पदार्थों से दूर रहें, क्योंकि इनमें से हर एक बुढ़ापे का कारण बनता है।
चाय-कॉफी आदि के बजाय सादा ठंडा या गुनगुना पानी, नींबू पानी, छाछ, गाजर, पालक, चुकंदर, लौकी, टमाटर आदि सब्जियां और कभी-कभी संतरा, पपीता आदि जैसे प्राकृतिक उत्पादों का जूस का सेवन करें। . लाभप्रद है.
डायबिटीज के मरीज को चीनी या उससे बनी चीजों से पूरी तरह दूर रहना चाहिए। अत्यधिक मीठे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग कम करें। प्राकृतिक उत्पाद के रस के बजाय जैविक उत्पाद खाएं।
Conclusion
इस लेख में स्वास्थ्य से संबंधित कुछ बाते बताई गई है। जीवन मै स्वस्थ से संबधित कुछ नियम परहेज एवम् नियंत्रण करने योग्य बातें होती है। इन नियमो का पालन से हम एक अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर सकते है
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